वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2022 को केंद्रीय बजट 2022-23 के साथ रेल बजट पेश किया। रेल मंत्रालय, भारतीय रेलवे का एडमिनिस्ट्रेशन संभालता है और रेलवे बोर्ड के जरिए नीतियों का निर्माण करता है। भारतीय रेलवे सरकार की कमर्शियल अंडरटेकिंग है। [1]
भारतीय रेलवे के व्यय को निम्नलिखित के जरिए वित्त पोषित किया जाता है: (i) अपने आंतरिक संसाधन (माल ढुलाई और यात्री यातायात से प्राप्त राजस्व और रेलवे की जमीन को लीज़ पर देना) (ii) केंद्र सरकार से बजटीय सहयोग, और (iii) बजटेतर संसाधन (मुख्य रूप से प्राथमिक उधारियां, लेकिन इसमें संस्थागत वित्त पोषण, सार्वजनिक निजी सहभागिता और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश शामिल हैं)। रेलवे के परिचालनगत व्यय (वेतन, कर्मचारियों को सुविधा, पेंशन, एसेट्स का रखरखाव) को उसके आंतरिक संसाधनों के जरिए पूरा किया जाता है। पूंजीगत व्यय (वैगन की खरीद और स्टेशन का रीडेवलपमेंट) बजटेतर संसाधनों, केंद्र सरकार से बजटीय सहयोग और रेलवे के आंतरिक संसाधनों के जरिए वित्त पोषित किया जाता है।
इस नोट में 2022-23 में रेल मंत्रालय के प्रस्तावित व्यय, पिछले वर्षों में उसकी वित्तीय स्थिति और विभिन्न मुद्दों का विश्लेषण किया गया है।
मुख्य बिंदु
- राजस्व: 2022-23 के लिए रेलवे का राजस्व 2,40,000 करोड़ रुपए प्रस्तावित है जिसमें 2021-22 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 19% की बढ़ोतरी है। 2021-22 का राजस्व बजट अनुमान से 7% कम अनुमानित है।
- यातायात राजस्व: 2022-23 में यातायात से कुल 2,39,600 करोड़ रुपए का राजस्व अनुमानित है जिसमें 2021-22 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 19% की वृद्धि है। 2022-23 में माल ढुलाई से 1,65,000 करोड़ रुपए के राजस्व का अनुमान है, जो 2021-22 के संशोधित अनुमानों से 14% अधिक है। यात्री राजस्व 58,500 करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जिसमें 2021-22 के कम आधार की तुलना में 32% की वृद्धि है (कोविड-19 के कारण)। 2021-22 में यात्री राजस्व बजट अनुमान से 27% कम होने का अनुमान है, जबकि माल ढुलाई का राजस्व बजट अनुमान से 5% अधिक होने की उम्मीद है।
- व्यय: 2022-23 के लिए रेलवे का कुल राजस्व व्यय 2,34,640 करोड़ रुपए अनुमानित है जिसमें 2021-22 के संशोधित अनुमान की तुलना में 17% की वृद्धि है। 2021-22 में राजस्व व्यय बजट अनुमान से 5% कम रहने का अनुमान है। 2022-23 में पूंजीगत व्यय 2,45,800 करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जो 2021-22 के संशोधित अनुमानों से 14% अधिक है। 2021-22 में पूंजीगत व्यय का संशोधित अनुमान बजट अनुमान से थोड़ा ज्यादा है।
- परिचालन अनुपात (ऑपरेटिंग रेशो): कार्यशील व्यय की तुलना में यातायात से होने वाली प्राप्तियों का अनुपात, परिचालन अनुपात कहलाता है। अगर यह अनुपात कम होता है तो इसका मतलब है, बेहतर लाभपरकता और पूंजीगत व्यय के लिए संसाधनों की उपलब्धता। 2022-23 में रेलवे का परिचालन अनुपात 96.98% अनुमानित है। 2021-22 में 98.93% (संशोधित अनुमान) के अनुपात की तुलना में इसमें कुछ सुधार है। 2021-22 के बजट चरण पर परिचालन अनुपात 96.15% अनुमानित था।
बजट 2022-23 की घोषणाएं [2]
बजट 2022-23 में रेलवे से संबंधित मुख्य घोषणाओं और प्रस्तावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- रेलवे छोटे किसानों तथा छोटे एवं मझोले उद्यमों के लिए नए उत्पाद और कुशल लॉजिस्टिक्स सेवाएं विकसित करेगा। यह पोस्टल और रेलवे नेटवर्क्स के एकीकरण की दिशा में भी कदम उठाएगा ताकि पार्सल्स की आवाजाही आसान हो सके।
- अगले तीन वर्षों में मल्टीमोडल लॉजिस्टिक सुविधाओं के लिए 100 पीएम गतिशक्ति कार्गो टर्मिनल विकसित किए जाएंगे।
- बड़े पैमाने पर शहरी परिवहन और रेलवे स्टेशनों के बीच मल्टीमोडल कनेक्टिविटी को प्राथमिकता के आधार पर सुगम बनाया जाएगा।
- अगले तीन वर्षों में 400 न्यू जनरेशन वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण किया जाएगा।
- 2,000 किलोमीटर का नेटवर्क कवच तकनीक के अंतर्गत लाया जाएगा जोकि सुरक्षा और क्षमता वृद्धि की स्वदेशी तकनीक है।स्थानीय व्यापार और सप्लाई चेन्स की मदद के लिए ‘एक स्टेशन-एक उत्पाद’
- अवधारणा को लोकप्रिय बनाया जाएगा।
2021-22 की बजट घोषणाओं की स्थिति पर अधिक जानकारी के लिए कृपया अनुलग्नक की तालिका 12 देखें।
वित्तीय विवरण
रेलवे का आंतरिक राजस्व
रेलवे का अधिकांश आंतरिक राजस्व उसके मुख्य कारोबार, यानी माल गाड़ियों और यात्री ट्रेनों से प्राप्त होता है। 2022-23 में रेलवे को माल ढुलाई से 69% राजस्व और यात्री यातायात से 24% राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। शेष 7% राजस्व विविध स्रोतों से अर्जित होगा, जैसे पार्सल सेवा, कोचिंग से होने वाली विविध प्राप्तियां और प्लेटफॉर्म टिकटों की बिक्री।
राजस्व में वृद्धि
2022-23 के लिए रेलवे का कुल आंतरिक राजस्व 2,40,000 करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जो 2021-22 के संशोधित अनुमानों से 19% अधिक है। 2021-22 में कुल आंतरिक राजस्व बजट अनुमान से 7% कम रहने का अनुमान है। जहां मालभाड़ा आय बजट से 5% अधिक होने का अनुमान है, वहीं यात्री यातायात से होने वाली आय 27% कम होने का अनुमान है। 2019-20 और 2020-21 दोनों में, रेलवे के आंतरिक राजस्व में साल-दर-साल नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है ( रेखाचित्र 1 )। 2019-20 में माल ढुलाई राजस्व पिछले वर्ष की तुलना में 11% कम था, जबकि यात्री राजस्व 2020-21 में बुरी तरह प्रभावित हुआ था। कोविड-19 के असर को कम करने के लिए मार्च 2020 में लगभग 10 दिनों तक और अप्रैल-मई 2020 के दौरान यात्री सेवाओं को रद्द कर दिया गया था। [3] इसके बाद चरणबद्ध तरीके से सेवाओं को बहाल किया गया। [4] रेलवे ने नवंबर 2021 तक नियमित रेलों के स्थान पर विशेष रेलें चलाईं। [5] इसके बाद से कोविड पूर्व नियमित ट्रेनें बहाल कर दी गई हैं। 5 इन ट्रेनों की दूसरी श्रेणी आरक्षित के तौर पर चल रही हैं, केवल कुछ विशेष मामलों में रियायत दी गई है। 5 2018-19 और 2022-23 के बीच रेलवे का राजस्व 5.9% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने का अनुमान है। यह 2012-13 और 2018-19 के बीच दर्ज किए गए 7.1% के सीएजीआर से कम है। जहां 2018-19 और 2022-23 के बीच माल ढुलाई से राजस्व 6.7% बढ़ने का अनुमान है, वहीं यात्री यातायात से राजस्व 3.5% बढ़ने का अनुमान है। 2012-13 और 2018-19 के बीच माल ढुलाई और यात्री राजस्व क्रमशः 6.9% और 8.5% की सीएजीआर से बढ़ा था।
राजस्व में कमी
जैसे कि ऊपर चर्चा की गई है, रेलवे के आंतरिक राजस्व में 2019-20 और 2020-21 में वर्ष दर वर्ष नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। इससे बजट अनुमान की तुलना में वास्तविक राजस्व में काफी अंतर आया ( रेखाचित्र 2 )। 2011-21 और 2018-19 के बीच रेलवे द्वारा अर्जित आंतरिक राजस्व बजट अनुमान से 6% कम था। इस अवधि के दौरान जबकि माल ढुलाई राजस्व बजट अनुमान से 3% कम देखा गया, यात्री सेवाओं से प्राप्त होने वाला राजस्व 8% अधिक था।
तालिका 1 : 2022-23 में रेलवे की प्राप्तियों और व्यय का विवरण (करोड़ रुपए में)
|
2020-21 |
2021-22 बअ |
2021-22 संअ |
परिवर्तन का % (2021-22 बअ से 2021-22 संअ) |
2022-23 बअ |
परिवर्तन का % (2021-22 संअ से 2022-23 बअ) |
|
प्राप्तियां |
|
|
|
|
|
|
|
1 |
यात्री राजस्व |
15,248 |
61,000 |
44,375 |
-27% |
58,500 |
32% |
2 |
माल ढुलाई राजस्व |
1,17,2032 |
1,37,810 |
1,45,275 |
5% |
1,65,000 |
14% |
3 |
अन्य यातायात स्रोत |
8,090 |
18,300 |
12,100 |
-34% |
16,100 |
33% |
4 |
सकल यातायात प्राप्तियां (1+2+3) |
1,40,571 |
2,17,110 |
2,01,750 |
-7% |
2,39,600 |
19% |
5 |
विविध |
213 |
350 |
250 |
-29% |
400 |
60% |
6 |
कुल आंतरिक राजस्व (4+5) |
1,40,784 |
2,17,460 |
2,02,000 |
-7% |
2,40,000 |
19% |
7 |
सरकार से बजटीय सहयोग |
29,926 |
1,07,300 |
1,17,300 |
9% |
1,37,300 |
17% |
8 |
बजटेतर संसाधन |
1,23,196 |
1,00,258 |
95,200 |
-5% |
1,01,500 |
7% |
9 |
सरकार से विशेष ऋण* |
79,398 |
|||||
10 |
कुल प्राप्तियां (6+7+8+9) |
3,73,303 |
4,25,018 |
4,14,500 |
-2% |
4,78,800 |
16% |
व्यय |
|||||||
11 |
सामान्य कार्यशील व्यय |
1,35,845 |
1,54,399 |
1,49,800 |
-3% |
1,70,000 |
13% |
12 |
पेंशन फंड हेतु विनियोग |
523 |
53,300 |
49,000 |
-8% |
60,000 |
22% |
13 |
मूल्यह्रास आरक्षित निधि हेतु विनियोग |
200 |
800 |
500 |
-38% |
2,000 |
300% |
14 |
कुल कार्यशील व्यय (11+12+13) |
1,36,568 |
2,08,499 |
1,99,300 |
-4% |
2,32,000 |
16% |
15 |
विविध |
1,669 |
2,400 |
1,825 |
-24% |
2,640 |
45% |
16 |
कुल राजस्व व्यय (14+15) |
1,38,236 |
2,10,899 |
2,01,125 |
-5% |
2,34,640 |
17% |
17 |
कुल पूंजीगत व्यय |
1,55,181 |
2,15,058 |
2,15,000 |
0% |
2,45,800 |
14% |
18 |
सरकार से विशेष ऋण का विनियोग* |
79,398 |
|||||
19 |
कुल व्यय (16+17+18) |
3,72,815 |
4,25,957 |
4,16,125 |
-2% |
4,80,440 |
15% |
20 |
शुद्ध राजस्व (6-16) |
2,547 |
6,561 |
875 |
-87% |
5,360 |
513% |
21 |
परिचालन अनुपात |
97.45%# |
96.15% |
98.93% |
96.98% |
नोट: *केंद्र सरकार ने 2020-21 में कोविड के कारण संसाधनों की कमी और 2019-20 में पेंशन फंड में प्रतिकूल संतुलन को लिक्विडेट करने के लिए अपने सामान्य राजस्व से विशेष ऋण दिया था।
#अगर पेंशन फंड का विनियोग आवश्यकता के अनुसार होता, तो 2020-21 के लिए परिचालन अनुपात 131.5% होता।
संअ– संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान।
स्रोत: एक्सपेंडिचर प्रोफाइल; केंद्रीय बजट 2022-23; पीआरएस।
रेखाचित्र 1 : 2013-23 के दौरान राजस्व में वृद्धि का % (वर्ष दर वर्ष)
नोट: संअ– संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान। स्रोत: कई वर्षों के रेलवे बजट; कई वर्षों के केंद्रीय बजट; पीआरएस।
रेखाचित्र 2 : 2011-22 के दौरान राजस्व में कमी (बजट और वास्तविक के बीच का अंतर)
नोट: 2021-22 के लिए संशोधित अनुमानों को वास्तविक माना गया है।
स्रोत: कई वर्षों के रेलवे बजट; कई वर्षों के केंद्रीय बजट; पीआरएस।
राजस्व वृद्धि की चुनौतियां
यातायात की मात्रा में सुस्त वृद्धि
पिछले दशक में रेल आधारित यात्री और माल ढुलाई, दोनों में मामूली दर से वृद्धि हुई (देखें रेखाचित्र 3 और रेखाचित्र 4 )। 2012-13 और 2022-23 के दौरान माल ढुलाई और यात्री यातायात की मात्रा क्रमश 2.3% और 0.01% की सीजीआर से बढ़ने का अनुमान है। इसने रेलवे की माल ढुलाई और यात्री ट्रेनें चलाने के मुख्य कारोबार से होने वाली कमाई पर असर किया है। अनुमान है कि 2022-23 में रेलवे 1,099 पैसेंजर केएम (पीकेएम) का यात्री यातायात दर्ज करेगा। 1 पीकेएम का मतलब है, 1 यात्री को 1 किलोमीटर ले जाना। 2022-23 में यात्री यातायात 2013-14 और 2018-19 के बीच हर साल की तुलना में कम होने का अनुमान है।
माल ढुलाई की मात्रा में 2021-22 के दौरान वृद्धि हुई है, और उम्मीद है कि 2022-23 में रेलवे इस वृद्धि को बरकरार रखेगा। 2022-23 में रेलवे द्वारा माल ढुलाई की 868 बिलियन नेट टन किमी (एनटीकेएम) मात्रा दर्ज करने का अनुमान है, जो 2021-22 (807 बिलियन एनटीकेएम) के संशोधित अनुमानों से 8% अधिक है। यह मुख्य रूप से कोयले के भाड़े में अनुमानित वृद्धि के कारण है ( तालिका 2 )। 2021-22 में माल ढुलाई की मात्रा के साथ-साथ राजस्व बजट अनुमान से 5% अधिक होने की उम्मीद है। 1 एनटीकेएम का अर्थ है कि 1 टन माल 1 किमी ले जाना। माल ढुलाई की मात्रा 2018-19 और 2022-23 के बीच 4.1% की सीएजीआर से बढ़ने का अनुमान है।
रेखाचित्र 3 : 2012-23 के दौरान यात्री यातायात की मात्रा (बिलियन पीकेएम में) नोट: संअ– संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान। स्रोत: कई वर्षों के रेलवे बजट; कई वर्षों के केंद्रीय बजट; पीआरएस। |
रेखाचित्र 4 : 2012-23 के दौरान माल ढुलाई की मात्रा (बिलियन एनटीकेएम में) नोट: संअ– संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान। स्रोत: कई वर्षों के रेलवे बजट; कई वर्षों के केंद्रीय बजट; पीआरएस। |
तालिका 2 : माल ढुलाई के घटकों की प्रवृत्तियां (बिलियन एनटीकेएम में)
18-19 |
21-22 संअ |
22-23 बअ |
|
18-19 से 22-23 सीएजीआर |
|
कोयला |
311 |
314 |
354 |
13% |
3.3% |
सीमेंट |
68 |
77 |
84 |
9% |
5.4% |
अन्य वस्तुएं |
59 |
77 |
81 |
5% |
8.2% |
लौह अयस्क |
43 |
66 |
72 |
9% |
13.5% |
खाद्यान्न |
58 |
77 |
65 |
-15% |
3.3% |
कंटेनर सेवाएं |
58 |
58 |
63 |
9% |
2.1% |
पिग आयरन और फिनिश्ड स्टील |
50 |
51 |
57 |
10% |
3.3% |
उर्वरक |
47 |
42 |
44 |
4% |
-1.5% |
पेट्रोलियम और लुब्रिकेंट्स |
29 |
30 |
31 |
6% |
1.7% |
स्टील प्लांट्स के लिए कच्चा माल |
15 |
16 |
17 |
7% |
2.4% |
कुल |
739 |
807 |
868 |
8% |
4.1% |
नोट: संअ– संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान।
स्रोत: कई वर्षों के केंद्रीय बजट; पीआरएस।
उल्लेखनीय है कि पिछल वर्षों के दौरान रेलवे ने परिवहन के अन्य साधनों के कारण माल ढुलाई यात्रायात में लगातार गिरावट दर्ज की है। कुल माल ढुलाई यातायात में रेलवे का हिस्सा 1950-51 में 89% से गिरकर 2011-12 में 30% रह गया। [6] इस अवधि के दौरान कुल माल ढुलाई यातायात 11% से बढ़कर 61% हो गया। ड्राफ्ट राष्ट्रीय रेल योजना 2030 (एनआरपी) के अनुसार, कुल माल भाड़ा यातायात में रेलवे का हिस्सा 2020 में 27% था। [7] एनआरपी का लक्ष्य 2050 तक माल ढुलाई यातायात में रेलवे के मोडल हिस्से को बढ़ाकर 45% करना है। नीति आयोग (2018) ने यह कहा था कि माल ढुलाई के हिस्से में गिरावट के तमाम कारणों में से एक कारण, ढुलाई क्षमता में कमी है। इसके अतिरिक्त मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता का अभाव भी इसकी एक वजह है। [8] यह गौर किया गया कि चूंकि यात्री और माल ढुलाई यातायात एक ही ट्रैक पर चलता है, इसलिए भारत विश्वव्यापी मानदंडों की तुलना में गति या क्षमता में बड़ी वृद्धि नहीं कर पाया है। उल्लेखनीय है कि रेलवे ने माल ढुलाई की सुविधाओं में सुधार के लिए कई डेडिकेटेड कॉरिडोर्स की योजना बनाई है। उसने माल ढुलाई को आकर्षित करने के लिए कई पहल की हैं: (i) कृषि उपज की माल ढुलाई को आकर्षित करने के लिए किसान रेल चलाना, (दिसंबर 2021 तक 153 मार्गों पर 1,806 ट्रेनें), और (ii) कुरियर और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए टाइम टेबल वाली पार्सल सेवाएं। [9] , [10]
माल भाड़े के लिए कोयले पर निर्भरता
माल ढुलाई का हिस्सा अधिकतर कुछ खास उद्योगों, जैसे ऊर्जा संयंत्र, लोहा और स्टील प्लांट्स के लिए कच्चे माल तक सीमित है ( रेखाचित्र 5 )। 2022-23 में कुल माल भाड़ा राजस्व में तीन वस्तुओं का योगदान 63% होने का अनुमान है: (i) कोयला, (47%), (ii) लौह अयस्क (9%), और (iii) सीमेंट (7%)।
रेखाचित्र 5 : 2022-23 में माल ढुलाई की मात्रा और माल भाड़े में अनुमानित हिस्सा
स्रोत: एक्सपेंडिचर प्रोफाइल, केद्रीय बजट 2022-23; पीआरएस।
जबकि माल ढुलाई में कोयले की हिस्सेदारी धीरे-धीरे कम हो रही है (2015-16 में 43% से 2021-22 में 39%), राजस्व में इसका योगदान बढ़ रहा है (2015-16 में 45% से 2021-22 में 47%)। यह माल ढुलाई में अन्य मदों की तुलना में राजस्व के लिए कोयले पर बढ़ती निर्भरता का संकेत हो सकता है। हालांकि बजट अनुमान के अनुसार 2022-23 में यातायात की मात्रा में कोयले की हिस्सेदारी बढ़ने का अनुमान है जबकि राजस्व में इसके योगदान में कमी का अनुमान है।
रेखाचित्र 6 : रेलवे की माल ढुलाई में कोयले का हिस्सा
स्रोत: कई वर्षों के रेलवे बजट; कई वर्षों के केंद्रीय बजट; पीआरएस।
माल ढुलाई राजस्व पर स्वच्छ ऊर्जा में संक्रमण का असर
2022-23 में 46% कोयला ढुलाई थर्मल पावर प्लांट्स के लिए अनुमानित है। लेकिन भारत ने जलवायु परिवर्तन से संबंधित पहल करने के लिए निम्नलिखित का वचन दिया है: (i) 2030 तक 500 GW की नॉन-फॉसिल एनर्जी क्षमता को इंस्टॉल करना, (ii) 2030 तक अक्षय ऊर्जा से ऊर्जा की 50% जूरूरत पूरा करना, (iii) 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को एक बिलियन टन तक घटाना, (iv) 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45% तक कम करना, और (v) 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करना। [11] इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्रों और कोयले के अन्य उपयोग को धीरे-धीरे कम करना होगा। लेकिन कोयला उपयोग में बदलाव करने से रेलवे के माल ढुलाई राजस्व और उसकी वित्तीय स्थिति के लिए चुनौती पैदा हो सकती है। 12
यात्री सेवाओं से बढ़ता घाटा
यात्री यातायात को दो श्रेणियों में व्यापक रूप से बांटा जाता है: उपशहरी और गैर उपशहरी यातायात। उपशहरी ट्रेनें ऐसी यात्री ट्रेनें होती हैं जोकि 150 किलोमीटर तक की छोटी दूरी तय करती हैं और शहरों और उपशहरी क्षेत्रों में यात्रियों की आवाजाही में मदद करती हैं। अधिकतर यात्री राजस्व (2019-20 में 94.4%) गैर उपशहरी यातायात (या लंबी दूरी की ट्रेनों) से प्राप्त होता है। पिछले कई वर्षों के दौरान रेलवे अपनी यात्री सेवाओं से परिचालन लागत को पूरा करने में असमर्थ रहा है। एसी-3 टियर सेगमेंट को छोड़कर, यात्री सेवाओं के अन्य सेगमेंट्स में 2015-20 की अवधि में घाटा दर्ज किया गया है ( तालिका 3 )। इन घाटों की भरपाई माल ढुलाई सेवाओं से मिलने वाली आय से की जाती है। नीति आयोग (2016) ने कहा था कि इस क्रॉस सबसिडी का नतीजा यह होता है कि माल ढुलाई का शुल्क बढ़ता जाता है। 14 यह भी गौर किया गया (2018) कि माल ढुलाई में रेलवे का हिस्सा अपेक्षा से कम होने की एक वजह माल भाड़ा अधिक होना है। 8
रेखाचित्र 7 : यात्री एवं अन्य कोचिंग सेवाओं में घाटा बनाम माल ढुलाई सेवाओं में लाभ (करोड़ रुपए में)
स्रोत: कैग; पीआरएस।
तालिका 3 : यात्री सेवाओं की विभिन्न श्रेणियों में परिचालन लाभ/घाटा (करोड़ रुपए में)
श्रेणी |
2015-16 |
2016-17 |
2017-18 |
2018-19 |
2019-20 |
एसी फर्स्ट क्लास |
-176 |
-139 |
-165 |
-249 |
-403 |
फर्स्ट क्लास |
-58 |
-53 |
-35 |
-39 |
-38 |
एसी 2 टियर |
-463 |
-559 |
-604 |
-908 |
-1378 |
एसी 3 टियर |
898 |
1,041 |
739 |
318 |
65 |
एसी चेयर कार |
-6 |
118 |
98 |
243 |
-182 |
स्लीपर क्लास |
-8,301 |
-9,313 |
-11,003 |
-13,012 |
-16,056 |
सेकेंड क्लास |
-8,570 |
-10,025 |
-11,524 |
-13,214 |
-14,457 |
सामान्य क्लास |
-13,238 |
-14,648 |
-16,568 |
-19,124 |
-20,450 |
ईएमयू उपशहरी सेवाएं |
-5,125 |
-5,324 |
-6,184 |
-6,754 |
-6,938 |
कुल |
-36,286 |
-37,937 |
-46,025 |
-55,020 |
-63,364 |
स्रोत: कैग; पीआरएस।
2019-20 में रेलवे को यात्री और अन्य कोचिंग सेवाओं से 63,364 करोड़ रुपए का घाटा हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15% की वृद्धि (55,020 करोड़ रुपए) है। [12] , [13] 2019-20 में माल ढुलाई सेवाओं से लाभ 28,746 करोड़ रुपए था, जो यात्री सेवाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए अपर्याप्त था। 13 यात्री सेवाओं से 50,669 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था। इस तरह रेलवे ने यात्री सेवाओं से एक रुपए कमाने के लिए 2.3 रुपए खर्च किए थे। 13
यात्री सेवाओं में नुकसान मुख्य रूप से निम्नलिखित के कारण होता है: (i) यात्री किराया लागत से कम होना, और (ii) यात्रियों की विभिन्न श्रेणियों (वरिष्ठ नागरिक, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता आदि) को रियायतें। [14] रेलवे इस नुकसान को सामाजिक सेवा दायित्व के रूप में वर्गीकृत करता है। रेलवे रीस्ट्रक्चरिंग कमिटी (2015) ने कहा था कि भारतीय रेलवे के कई फैसलों, जैसे किराए में बढ़ोतरी, नई ट्रेनों को शुरू करना और हॉल्ट्स का प्रावधान वाणिज्यिक दृष्टिकोण से नहीं किया जाता है। 16 रेलवे संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2020) ने सुझाव दिया था कि माल भाड़े और यात्री किरायों को विवेकपूर्ण तरीके से युक्तिसंगत बनाया जाना चाहिए। [15] उसने कहा था कि परिवहन के दूसरे साधनों के किराये को ध्यान में रखते हुए किराया बढ़ाए जाने की जरूरत है। 15 कमिटी ने सुझाव दिया था कि रेलवे के सामाजिक सेवा दायित्वों की फिर से समीक्षा की जानी चाहिए। 15
व्यय
पिछले एक दशक में रेलवे का खर्च उसके आंतरिक राजस्व की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक तेजी से बढ़ा है। इसकी मुख्य वजह केंद्र के अनुदानों और बजटेतर संसाधनों के जरिए किया जाने वाला पूंजीगत व्यय है ( रेखाचित्र 8 )। 2012-13 और 2022-23 के बीच आंतरिक राजस्व में 6.6% की सीएजीआर से वृद्धि का अनुमान है, जबकि राजस्व और पूंजीगत व्यय में क्रमशः 7.1% और 17.4% की सीएजीआर से वृद्धि का अनुमान है।
रेखाचित्र 8 : 2012-23 के दौरान रेलवे का व्यय (हजार करोड़ रुपए में)
नोट: संअ– संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान।
स्रोत: कई वर्षों के रेलवे बजट; कई वर्षों के केंद्रीय बजट; पीआरएस।
पूंजीगत व्यय के वित्त पोषण के लिए बजटीय सहयोग और बजटेतर संसाधनों पर निर्भरता
रेलवे के मामूली राजस्व अधिशेष के कारण, पूंजीगत व्यय को बड़े पैमाने पर निम्नलिखित के जरिए वित्त पोषित किया गया है: (i) केंद्र सरकार से बजटीय सहायता, और (ii) बजटेतर संसाधन। उदाहरण के लिए 2022-23 में कुल अनुमानित पूंजीगत व्यय का केवल 2.8% रेलवे के आंतरिक राजस्व के माध्यम से वित्त पोषित किया जाएगा। बजटेतर संसाधनों में बाजार से उधार लेना जैसे बैंकों से वित्त पोषण, संस्थागत वित्तपोषण और बाहरी निवेश शामिल हैं। रेलवे में बाहरी निवेश सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी), संयुक्त उद्यम, या निजी निवेशकों को रेलवे में बांड या इक्विटी शेयर खरीदने के लिए आकर्षित करके किया जा सकता है। रेलवे ज्यादातर भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) के माध्यम से धन उधार लेता है। आईआरएफसी बाजार से धन उधार लेता है (कर योग्य और कर-मुक्त बांड जारी करके, बैंकों और वित्तीय संस्थानों से सावधि ऋण के जरिए), और फिर भारतीय रेलवे के रोलिंग स्टॉक एसेट्स और प्रॉजेक्ट एसेट्स के वित्तपोषण के लिए एक लीजिंग मॉडल का इस्तेमाल करता है।
2014-15 तक केंद्र सरकार का बजटीय स्रोत पूंजीगत व्यय को वित्त पोषित करने का मुख्य स्रोत होता था ( रेखाचित्र 9 )। हालांकि 2015-16 के बीच बजटेतर संसाधनों पर निर्भरता बढ़ने से पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी कायम रही। रेलवे रीस्ट्रक्चरिंग कमिटी (2015) का कहना था कि उधारियों पर अधिक निर्भरता से रेलवे की वित्तीय स्थिति और खराब हो सकती है। [16]
रेखाचित्र 9 : धनराशि का स्रोत– पूंजीगत व्यय
नोट: संअ– संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान।
स्रोत: कई वर्षों के रेलवे बजट; कई वर्षों के केंद्रीय बजट; पीआरएस।
2021-22 और 2022-23 में केंद्र सरकार के बजटीय सहयोग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। हालांकि इसकी यह वजह भी हो सकती है कि इन दो वर्षों में केंद्र सरकार को बड़ा राजकोषीय घाटा हुआ था (सकल घरेलू उत्पाद का क्रमशः 6.9% और 6.4%)। 2 केंद्र सरकार का लक्ष्य 2025-26 तक अपने राजकोषीय घाटे को जीडीपी का 4.5% करना है। 2 इस वजह से 2021-22 और 2022-23 में बजटीय सहयोग के स्तरों को बरकरार रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
तालिका 4 : पूंजीगत व्यय (करोड़ रुपए में)
2020-21 वास्तविक |
2021-22 संशोधित |
2022-23 बजटीय |
परिवर्तन का % (21-22 संअ से 22-23 बअ) |
|
सकल बजटीय सहयोग |
29,926 |
1,17,300 |
1,37,300 |
17% |
बजटेतर संसाधन |
1,23,196 |
95,200 |
1,01,500 |
7% |
आंतरिक संसाधन |
2,059 |
2,500 |
7,000 |
180% |
कुल |
1,55,181 |
2,15,000 |
2,45,800 |
14% |
स्रोत: एक्सपेंडिचर प्रोफाइल; केंद्रीय बजट 2022-23; पीआरएस।
ऋण चुकाने के लिए अपर्याप्त संसाधन
रेलवे आईआरएफसी को लीज शुल्क देता है। इसमें मूलधन और ब्याज शामिल है। मूल धन रेलवे के पूंजीगत व्यय का हिस्सा है। 2022-23 में मूलधन के भुगतान के लिए आबंटन 22,188 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जिसमें 2021-22 की तुलना में 51% की वृद्धि है (संशोधित अनुमानों के अनुसार 14,702 करोड़ रुपए)।
कैग (2020) ने कहा कि आदर्श स्थिति तो यही होती कि मूलभूत को कैपिटल फंड से चुकाया जाता। 12 कैपिटल फंड रेलवे का एक डेडिकेटेड फंड है जोकि बाजार उधारियों के मूलधन को चुकाता है और कार्यशील प्रकृति के कार्यों को वित्त पोषित करता है। हालांकि 2015-16 और 2021-22 के बीच इस फंड में कोई आबंटन नहीं किया गया है। 2022-23 में कैपिटल फंड में 2,360 करोड़ रुपए के आबंटन का अनुमान है। रेल मंत्रालय ने कहा था कि कैपिटल फंड में विनियोग अनिवार्य राजस्व व्यय को पूरा करने के बाद शुद्ध राजस्व से किया जाता है। 12 मंत्रालय ने यह भी कहा था कि अपर्याप्त आंतरिक संसाधनों के कारण कैपिटल फंड में कोई विनियोग नहीं किया गया। इसलिए केंद्र के सकल बजटीय सहयोग से लीज़ शुल्क के मूलधन को चुकाया गया। कैग (2020) ने कहा है कि लीज़ शुल्क चुकाने के लिए सकल बजटीय सहयोग का उपयोग एक अच्छी प्रवृत्ति नहीं है क्योंकि इससे रेलवे पूंजीगत व्यय में अतिरिक्त निवेश नहीं कर पाता। 12 कैग (2019) ने कहा था कि अगर आईआरएफसी की बाध्यताओं को बजटीय सहयोग से पूरा किया जाएगा तो सरकार बाजार से सीधा उधार ले सकती है और इसकी लागत कम होगी। [17]
भविष्य में पूंजीगत व्यय की जरूरतें
रेलवे मंत्रालय ने 2021-51 की अवधि में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय रेल योजना 2030 तैयार की है। 7 दिसंबर 2020 में जारी राष्ट्रीय रेल योजना 2030 (एनआरपी) के ड्राफ्ट में कहा गया है कि अगले पांच वर्षों में रेलवे के पास पूंजीगत व्यय परियोजनाओं के लिए दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की कमी हो सकती है। 7 राष्ट्रीय रेल योजना से पहले रेलवे की वार्षिक कार्य योजना के अंतर्गत आने वाली परियोजनाओं और राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के लिए भी धनराशि की कमी हुई है। 7 राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन 2019-20 और 2024-25 के बीच 102 लाख करोड़ रुपए मूल्य के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स वाली एक योजना है। इसमें रेलवे के ट्रैक इंफ्रास्ट्रक्चर, टर्मिनल इंफ्रास्ट्रक्चर, रोलिंग स्टॉक और शहरी सार्वजनिक परिवहन से जुड़े 13.7 लाख करोड़ रुपए के प्रॉजेक्ट्स आते हैं (तालिका 5)। ड्राफ्ट राष्ट्रीय रेल योजना में 2021-26 की अवधि में 5.8 लाख करोड़ रुपए मूल्य के अतिरिक्त पूंजीगत व्यय की परिकल्पना की गई है ( तालिका 6 )। 7 उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय रेल योजना और राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन की कई परियोजनाएं एक जैसी हैं। 7
तालिका 5 : राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के अंतर्गत रेलवे के लिए अपेक्षित पूंजीगत व्यय (करोड़ रुपए में)
वर्ष |
राशि |
2019-20 |
1,33,387 |
2020-21 |
2,62,465 |
2021-22 |
3,08,800 |
2022-23 |
2,73,831 |
2023-24 |
2,21,209 |
2024-25 |
1,67,870 |
कुल |
13,67,563 |
स्रोत: ड्राफ्ट राष्ट्रीय रेल योजना, रेलवे मंत्रालय; पीआरएस
ड्राफ्ट राष्ट्रीय रेल योजना के अनुसार, अगले पांच वर्षों के लिए भारतीय रेलवे के पूंजीगत व्यय के लिए निम्न उपलब्ध होगा: (i) सकल बजटीय सहयोग के जरिए करीब 60,000 करोड़ रुपए वार्षिक, (ii) आंतरिक स्रोतों से करीब 7,000 करोड़ रुपए वार्षिक, और (iii) बजटेतर संसाधनों से अधिकतम 1,30,000 करोड़ रुपए वार्षिक। 7 उसके अनुसार उच्च परिचालन अनुपात के कारण आंतरिक स्रोतों से राष्ट्रीय रेल योजना की परियोजनाओं को फंड करना मुश्किल होगा। 7
तालिका 6 : राष्ट्रीय रेल योजना का प्रस्तावित व्यय (लाख करोड़ रुपए में)
मद |
2021 -26 |
2026 -31 |
2031 -41 |
2041 -51 |
कुल |
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर्स |
- |
1.5 |
0.5 |
0.3 |
2.3 |
उच्च गति वाले रेल कॉरिडोर्स |
- |
5.1 |
2.9 |
7.0 |
15.0 |
नेटवर्क में सुधार |
1.3 |
0.7 |
2.2 |
1.8 |
6.0 |
फ्लाईओवर्स/बायपास |
0.8 |
- |
- |
- |
0.8 |
टर्मिनल |
0.6 |
0.2 |
0.1 |
0.04 |
0.9 |
रोलिंग स्टॉक |
3.1 |
1.7 |
3.6 |
4.8 |
13.2 |
कुल |
5.8 |
9.2 |
9.3 |
13.9 |
38.2 |
स्रोत: ड्राफ्ट राष्ट्रीय रेल योजना, रेलवे मंत्रालय; पीआरएस
राजस्व व्यय
2022-23 में रेलवे द्वारा कुल राजस्व व्यय 2,34,640 करोड़ रुपए अनुमानित है जिसमें 2021-22 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 17% की वृद्धि है (2,01,125 करोड़ रुपए)। 2022-23 में राजस्व व्यय की मुख्य मदों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) कर्मचारियों की लागत (43%), (ii) पेंशन (22%), (iii) ईंधन (15%), और (iv) लीज़ शुल्क का ब्याज घटक (9%)।
कर्मचारियों का वेतन और पेंशन
2022-23 में कर्मचारियों के वेतन और पेंशन की राशि रेलवे के अनुमानित राजस्व व्यय का लगभग 68% है। 2022-23 के लिए कर्मचारियों पर 99,840 करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है जिसमें 2021-22 की तुलना में 10% की वृद्धि है। रेलवे रीस्ट्रक्चरिंग कमिटी (2015) ने गौर किया था कि कर्मचारियों पर रेलवे का व्यय बहुत ज्यादा है और उसे नियंत्रित करना मुश्किल है। 16 इसमें वेतन आयोग के संशोधनों के कारण हर कुछ वर्ष बाद बड़ा उछाल आता है। 2021-22 में कर्मचारियों का
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन अगस्त 2021 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को शुरू किया था। नीति आयोग (2021) ने कहा था कि राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के अंतर्गत परिकल्पित 83-85% पूंजीगत व्यय का वित्त पोषण पूंजी के परंपरागत स्रोतों से किए जाने की उम्मीद है। [18] लगभग 15-17% परिव्यय को नए तरीकों से पूरा किया जाएगा, जैसे एसेट रीसाइकलिंग और मुद्रीकरण। एनएमपी का लक्ष्य ऐसे एसेट्स का मुद्रीकरण है जोकि सरकारी निकाय के कारोबारी उद्देश्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं और इंफ्रास्ट्रक्टचर सेवाओं को उपलब्ध कराने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इस पाइपलाइन को चार वर्षों के दौरान लागू किया जाएगा (2022-23 और 2024-25 के बीच)। एनएमपी के अंतर्गत मुद्रीकरण में गैर मुख्य एसेट्स का विनिवेश और मुद्रीकरण शामिल नहीं होगा, जैसे जमीन, इमारत और प्योर प्ले रियल एस्टेट एसेट्स। एनएमपी के अंतर्गत मुद्रीकृत होने वाले रेलवे एसेट्स की कीमत 1,52,496 करोड़ रुपए अनुमानित है। यह एनएमपी के अंतर्गत केंद्र सरकार के सभी एसेट्स की लगभग 26% कीमत है (कीमत के लिहाज से छह लाख करोड़ रुपए)। तालिका 7 : एनएमपी के अंतर्गत मुद्रीकरण रेलवे एसेट्स
स्रोत: नीति आयोग; पीआरएस। |
वेतन संशोधित चरण में 90,619 करोड़ रुपए अनुमानित है जो बजट अनुमान से 3% कम है।
उल्लेखनीय है कि रेलवे में कुल 15,07,694 स्वीकृत पद हैं जिनमें से लगभग 2,37,295 पद रिक्त हैं, यानी लगभग 16% रिक्तियां हैं (मार्च 2020 तक)। [19] अगर सभी पद भरे जाते हैं तो कर्मचारियों पर रेलवे की लागत मौजूदा स्तर से अधिक हो जाएगी।
2022-23 में पेंशन फंड में 60,000 करोड़ रुपए के आबंटन का अनुमान है जिसमें 2021-22 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 22% की वृद्धि है। पेंशन फंड में विनियोग 2019-20 और 2020-21 की तुलना में अपेक्षा से कम था (बजट अनुमान से क्रमशः 59% और 99% कम)। 2019-20 और 2020-21 के लिए पेंशन फंड के दायित्वों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने रेलवे को 79,398 करोड़ रुपए का विशेष ऋण दिया गया था। 2021-22 में पेंशन फंड में विनियोग बजट अनुमान से 8% कम होने का अनुमान है। रेलवे संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2017) ने कहा था कि अगले कुछ वर्षों में पेंशन बिल में और वृद्धि हो सकती है, क्योंकि 2016-17 में लगभग 40% रेलवे कर्मचारी 50 वर्ष से अधिक आयु के थे। [20] 2020 में रेलवे संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने कहा था कि पेंशन बिल को कम करने के लिए 2004 में लागू की गई नई पेंशन योजना के नतीजे 2034-35 के करीब नजर आएंगे। 15 कमिटी ने सुझाव दिया है कि 2034-35 तक केंद्र सरकार के सामान्य राजस्व से पेंशन देनदारियों का एक हिस्सा वहन करने की व्यावहारिकता का पता लगाया जाना चाहिए। 15
रेलवे रीस्ट्रक्चरिंग कमिटी (2015) ने यह भी गौर किया कि कर्मचारियों की लागत (पेंशन सहित) रेलवे की अधिशेष उत्पन्न करने और परिचालन के लिए संसाधन आबंटित करने की क्षमता को कम करती है। 16 उसने सुझाव दिया था कि रेलवे को अपनी श्रमशक्ति को युक्तिसंगत बनाना चाहिए और संगठन को ज्यादा बिजनेस ओरिएंटेड बनाना चाहिए। उसे इस तरह के बदलाव करने चाहिए ताकि निजी भागीदारी बढ़े लेकिन परिचालन संबंधी अपेक्षित स्तर की विशेषज्ञता उसके खुद के पास बनी रहे। 16
ईंधन और बिजली
2022-23 में ईंधन और बिजली पर 31,854 करोड़ रुपए का व्यय अनुमानित है जिसमें 2021-22 की तुलना में 15% की वृद्धि है (27,629 करोड़ रुपए)।
लीज़ शुल्क
लीज़ शुल्क का ब्याज घटक रेलवे के राजस्व व्यय का एक हिस्सा होता है। 2022-23 में लीज़ शुल्क के ब्याज घटक पर 20,013 करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है जिसमें 2021-22 की तुलना में 33% की वृद्धि है (15,068 करोड़ रुपए)।
फंड्स में विनियोग
मूल्यह्रास आरक्षित निधि (डीआरएफ)
डीआरएफ में विनियोग इस उद्देश्य से किया जाता है कि पुराने एसेट्स की जगह लेने वाले नए एसेट्स की लागत को वित्त पोषित किया जा सके। 2022-23 में डीआरएफ में 2,000 करोड़ रुपए के विनियोग का अनुमान है। पिछले कुछ वर्षों में डीआरएफ में विनियोग में गिरावट हुई है ( रेखाचित्र 10 )। हाल के वर्षों में विनियोग बजट अनुमान से कम रहा है। कैग (2021) के अनुसार 2019-2020 के अंत में इस फंड के जरिए रिप्लेसमेंट के लिए लंबित पुराने एसेट्स की कीमत 95,217 करोड़ रुपए अनुमानित थी। 13 इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ट्रैक रीन्यूअल पर 58,887 करोड़ रुपए, और (ii) रोलिंग स्टॉक पर 26,547 करोड़ रुपए। यह कहा गया कि राजस्व अधिशेष में गिरावट के मद्देनजर पुराने एसेट्स का रिप्लेसमेंट और रीन्यूअल केंद्र के लिए बोझ बन सकता है। 13
रेखाचित्र 10 : डीआरएफ में विनियोग (करोड़ रुपए में)
नोट: संअ– संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान। 2021-22 के संशोधित अनुमानों को वास्तविक के रूप में प्रदर्शित किया गया है।
स्रोत: कई वर्षों के रेलवे बजट; कई वर्षों के केंद्रीय बजट; पीआरएस।
ट्रेनों के संचालन में निजी क्षेत्र की भागीदारी जुलाई 2020 में 12 क्लस्टर्स में 151 ट्रेनों को शुरू करके, 109 मूल-गंतव्य जोड़ी वाले मार्गों की यात्री ट्रेन सेवाओं के संचालन में निजी भागीदारिता के प्रस्ताव आमंत्रित किए गए। [21] निजी कंपनियां इन ट्रेनों के वित्त पोषण, खरीद, संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार होंगी। जुलाई 2021 में बोली खोली गईं। 22 कुल मिलाकर तीन क्लस्टर्स के लिए पांच बोलियां प्राप्त हुईं। [22] बाकी के नौ क्लस्टर्स के लिए कोई बोली प्राप्त नहीं हुईं। 22 |
रेलवे मंत्रालय ने गौर किया कि डीआरएफ के विनियोग में गिरावट की वजह यह थी कि सुरक्षा से जुड़े बहुत से रीन्यूअल और रिप्लेसमेंट के काम राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (आरआरएसके) के माध्यम से वित्तपोषित किए गए। 15 आरआरएसके को 2017-18 में बनाया गया था ताकि रीन्यूअल और रिप्लेसमेंट के सुरक्षा संबंधी कार्यों और एसेट्स की वृद्धि को वित्त पोषित किया जा सके।
पांच वर्षों के लिए इस फंड का कॉरपस एक लाख करोड़ रुपए है (आंशिक रूप से केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित)। रेलवे को इन पांच वर्षों के दौरान आरआरएसके में हर वर्ष 5,000 करोड़ रुपए का आबंटन करना होगा। 15 मंत्रालय ने कहा था कि आरआरएसके 2021-22 के बाद जारी नहीं रहेगा। 2021-22 के बाद रीन्यूअल और रिप्लेसमेंट का काम डीआरएफ से वित्त पोषित किया जाएगा। आने वाले वर्षों में डीआरएफ के विनियोग में वृद्धि हो सकती है। ध्यान दें कि 2022-23 में बजट चरण पर सारे आबंटन आरआरएसके में किए गए हैं।
राष्ट्रीय रेल संरक्षण कोष (आरआरएसके)
2022-23 में रेलवे ने आरआरएसके के लिए 2,000 करोड़ रुपए आबंटित किए हैं। हालांकि आरआरएसके में वास्तविक विनियोग 2018-19 और 2021-22 के बीच सभी चार वर्षों में अपेक्षित 5,000 करोड़ रुपए से कम रहा है। वर्ष 2021-22 में संशोधित स्तर पर कोष के लिए कोई आबंटन नहीं किया गया है। रेल मंत्रालय ने कहा है कि संसाधन की प्रतिकूल स्थिति के कारण आरआरएसके में अपेक्षित विनियोग नहीं किया गया है। 15 रेलवे संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2020) ने कहा था कि रेलवे के आंतरिक संसाधनों से अपेक्षित राशि का विनियोग न होने की वजह से आरआरएसके का उद्देश्य धीरे-धीरे खत्म हो गया। 15
तालिका 8 : आरआरएसके में विनियोग (करोड़ रुपए में)
वर्ष |
बजट |
वास्तविक |
परिवर्तन का % |
2017-18 |
1,000 |
0 |
-100% |
2018-19 |
5,000 |
3,024 |
-40% |
2019-20 |
5,000 |
201 |
-96% |
2020-21 |
5,000 |
1,000 |
-60% |
2021-22 संअ |
5,000 |
0 |
-100% |
2022-23 बअ |
2,000 |
- |
- |
नोट: संअ– संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान।
स्रोत: कई वर्षों के केंद्रीय बजट; पीआरएस।
राजस्व अधिशेष और परिचालन अनुपात
रेलवे के कुल आंतरिक राजस्व और उसके कुल व्यय (इसमें कार्यशील व्यय और पेंशन एवं मूल्यह्रास निधियों में विनियोग शामिल हैं) के बीच के अंतर के आधार पर रेलवे के अधिशेष की गणना की जाती है। 2022-23 में रेलवे द्वारा 5,360 करोड़ रुपए का अधिशेष अर्जित करने की उम्मीद है। यह 2021-22 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 513% की वृद्धि (875 करोड़ रुपए) है। 2021-22 में रेलवे ने बजट स्तर की तुलना में 6,561 करोड़ रुपए के अधिशेष का अनुमान लगाया है।
रेखाचित्र 11 : रेलवे का परिचालन अनुपात
स्रोत: कई वर्षों के रेलवे बजट; कई वर्षों के केंद्रीय बजट; पीआरएस।
यातायात से अर्जित राजस्व की तुलना में कार्यशील व्यय (रेलवे के दिन-प्रतिदिन के संचालन से उत्पन्न होने वाले व्यय) का अनुपात, परिचालन अनुपात कहलाता है। इसलिए एक उच्च अनुपात अधिशेष उत्पन्न करने की एक खराब क्षमता की तरफ इशारा करता है। अधिशेष का उपयोग पूंजी निवेश के लिए किया जा सकता है जैसे कि नई लाइनें बिछाना या अधिक कोच तैनात करना। रेलवे का परिचालन अनुपात एक दशक से अधिक समय से लगातार 90% से अधिक रहा है ( रेखाचित्र 11 )। 2022-23 में रेलवे ने 97.0% के परिचालन अनुपात का अनुमान लगाया है जिसमें 2021-22 के अनुमानित 98.9% के अनुपात के मुकाबले सुधार है। 2019-20 में अनुमानित अनुपात 95% था, जोकि बिगड़कर 98.4% हो गया। कैग (2020) ने कहा था कि अगर 2019-20 के लिए कुछ अग्रिमों को 2018-19 की प्राप्तियों में शामिल नहीं किया जाता, तो 2018-19 के लिए परिचालन अनुपात 101.8% होता। 12 अगर पेंशन फंड में विनियोग जरूरत के हिसाब से होता तो 2019-20 और 2020-21 का परिचालन अनुपात क्रमशः 114.2% और 131.5% होता। [23] , [24]
नेटवर्क विस्तार और आधुनिकीकरण
हाल के वर्षों में रेलवे विस्तार और आधुनिकीकरण के कुछ प्रमुख भौतिक लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाया है। वह 2017-18 और 2020-21 के बीच सभी तीन वर्षों में अपने निम्नलिखित बजट लक्ष्यों से चूक गया है: (i) नई लाइनों का निर्माण, और (ii) गेज परिवर्तन ( तालिका 9 )। नई लाइनों के निर्माण की प्रगति की जांच करते हुए रेलवे संबंधी स्टैंडिंग (2020) ने गौर किया था कि पूंजीगत व्यय के लिए आबंटन में संशोधन के लिए प्राथमिकताओं के पुनर्निधारण की जरूरत है। इसके अलावा जिन गतिविधियों के कारण नई लाइनों के निर्माण की रफ्तार धीमी होती है, उन्हें भी रीशेड्यूल किए जाने की जरूरत है। 15 2018-19 और 2019-20 में रेलवे अपनी लाइनों के बिजलीकरण के लक्ष्य से भी चूक गया। उल्लेखनीय है कि रेलवे का लक्ष्य 2023 तक सभी ब्रॉड गेज मार्गों का 100% बिजलीकरण करना है। 2021-22 के संशोधित अनुमानों के अनुसार, वैगन और ट्रैक रीन्यूअल्स के मामले में उपलब्धियां शुरुआती लक्ष्य से कम होंगी। अनुलग्नक की तालिका 13 में मुख्य भौतिक लक्ष्यों का विवरण दिया गया है।
तालिका 9 : भौतिक लक्ष्य – अपेक्षा से कम उपलब्धि
संकेतक |
2017-18 |
2018-19 |
2019-20 |
2020-21 |
2021-22 संअ |
नई लाइनों का निर्माण (किलोमीटर मार्ग) |
-49% |
-52% |
-28% |
-43% |
0% |
गेज परिवर्तन (किलोमीटर मार्ग) |
-50% |
-40% |
-32% |
-22% |
0% |
लाइनों की डबलिंग (किलोमीटर मार्ग) |
-45% |
20% |
-45% |
-15% |
0% |
वैगन (संख्या) |
-48% |
-20% |
-24% |
-16% |
-20% |
ट्रैक रीन्यूअल (किलोमीटर मार्ग) |
12% |
7% |
15% |
9% |
-10% |
बिजलीकरण (किलोमीटर मार्ग) |
2% |
-12% |
-37% |
0% |
0% |
नोट: संअ– संशोधित अनुमान, पॉजिटिव नंबर का मतलब है कि उपलब्धियां लक्ष्य से अधिक हैं।
स्रोत: कई वर्षों के केंद्रीय बजट; पीआरएस।
अनुलग्नक
तालिका 10 : माल ढुलाई का विवरण (यातायात की मात्रा मिलियन एटीकेएम में; आय करोड़ रुपए में)
2020-21 |
2021-22 संशोधित |
2022-23 बजटीय |
|
|
|||||||
वस्तु |
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
|
कोयला |
49,578 |
2,39,390 |
68,520 |
3,13,869 |
77,250 |
3,54,008 |
12.7% |
12.8% |
47% |
41% |
|
लौह अयस्क |
12,661 |
62,523 |
13,690 |
65,640 |
14,949 |
71,843 |
9.2% |
9.5% |
9% |
8% |
|
सीमेंट |
9,714 |
73,605 |
11,069 |
77,117 |
12,022 |
83,752 |
8.6% |
8.6% |
7% |
10% |
|
अन्य वस्तुएं |
8,510 |
66,465 |
10,493 |
77,305 |
11,019 |
81,180 |
5.0% |
5.0% |
7% |
9% |
|
विविध आय |
1,493 |
- |
2,600 |
- |
10,000 |
- |
284.6% |
- |
6% |
- |
|
पिग आयरन और फिनिश्ड स्टील |
7,417 |
49,123 |
9,036 |
51,437 |
9,970 |
56,755 |
10.3% |
10.3% |
6% |
7% |
|
खाद्यान्न |
9,213 |
80,681 |
9,605 |
76,691 |
8,196 |
65,434 |
-14.7% |
-14.7% |
5% |
8% |
|
कंटेनर सेवाएं |
5,114 |
55,331 |
6,452 |
57,653 |
7,042 |
62,815 |
9.1% |
9.0% |
4% |
7% |
|
पेट्रोलियम और ल्यूब्रिकेंट्स |
5,727 |
29,970 |
5,879 |
29,644 |
6,227 |
31,396 |
5.9% |
5.9% |
4% |
4% |
|
उर्वरक |
5,826 |
49,011 |
5,436 |
42,258 |
5,666 |
44,044 |
4.2% |
4.2% |
3% |
5% |
|
स्टील प्लांट के लिए कच्चा माल |
1,979 |
13,663 |
2,494 |
15,616 |
2,659 |
16,650 |
6.6% |
6.6% |
2% |
2% |
|
कुल |
1,17,232 |
7,19,762 |
1,45,275 |
8,07,230 |
1,65,000 |
8,67,877 |
13.6% |
7.5% |
100% |
100% |
नोट: एनटीकेएम- नेट टन किलोमीटर (एक एनटीकेएम एक किलोमीटर के लिए माल ढुलाई का शुद्ध वजन होता है), संअ – संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान।
स्रोत: एक्सपेंडिचर प्रोफाइल; केंद्रीय बजट 2022-23; पीआरएस।
तालिका 11 : यात्री यातायात का विवरण (यातायात की मात्रा मिलियन पीकेएम में, आय करोड़ रुपए में)
2020-21 |
2021-22 संशोधित |
2022-23 बजटीय |
(2021-22 संअ से 2022-23 बअ) परिवर्तन का % |
|||||
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
आय |
मात्रा |
|
कुल उपशहरी |
589 |
30,075 |
1,259 |
73,721 |
2,623 |
1,57,435 |
108% |
114% |
कुल गैर उपशहरी |
14,659 |
2,01,051 |
43,116 |
5,68,914 |
55,877 |
9,41,692 |
30% |
66% |
स्लीपर क्लास (एमएंडई) |
5,436 |
98,476 |
15,840 |
2,59,098 |
18,181 |
3,04,243 |
15% |
17% |
सेकेंड क्लास (एमएंडई) |
2,132 |
55,447 |
6,667 |
1,63,835 |
14,521 |
3,65,063 |
118% |
123% |
एसी 3 टियर |
4,750 |
32,174 |
14,128 |
97,538 |
12,905 |
91,149 |
-9% |
-7% |
एसी 2 टियर |
1,472 |
7,609 |
4,023 |
20,288 |
4,679 |
24,137 |
16% |
19% |
सेकेंड क्लास (सामान्य) |
217 |
4,456 |
374 |
18,930 |
2,758 |
1,42,806 |
637% |
654% |
एसी चेयर कार |
390 |
2,153 |
1,299 |
7,028 |
1,904 |
10,537 |
47% |
50% |
एसी फर्स्ट क्लास |
233 |
671 |
612 |
1,751 |
636 |
1,860 |
4% |
6% |
एग्जीक्यूटिव क्लास |
28 |
72 |
156 |
386 |
205 |
520 |
32% |
35% |
स्लीपर क्लास (सामान्य) |
-2 |
-14 |
1 |
21 |
45 |
972 |
4,424% |
4,529% |
फर्स्ट क्लास (एमएंडई) |
2 |
1 |
15 |
16 |
25 |
27 |
65% |
69% |
फर्स्ट क्लास (सामान्य) |
1 |
6 |
1 |
23 |
17 |
378 |
1,507% |
1,543% |
कुल |
15,248 |
2,31,126 |
44,375 |
6,42,635 |
58,500 |
10,99,127 |
32% |
71% |
नोट: पीकेएम- पैसेंजर किलोमीटर (एक पीकेएम, यानी एक किलोमीटर पर जाने वाला यात्री), संअ – संशोधित अनुमान, बअ– बजट अनुमान।
स्रोत: एक्सपेंडिचर प्रोफाइल; केंद्रीय बजट 2022-23; पीआरएस।
तालिका 12 : 2021-22 में रेलवे की बजट घोषणाओं की स्थिति
घोषणाएं |
स्थिति |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
स्रोत: बजट घोषणा 2021-22 के कार्यान्वयन का वक्तव्य, केंद्रीय बजट 2022-23; पीआरएस।
तालिका 13 : मुख्य भौतिक लक्ष्य
2020-2021 |
2021-2022 |
2022-23 |
|||
बजट लक्ष्य |
उपलब्धि |
बजट लक्ष्य |
संशोधित लक्ष्य |
बजट लक्ष्य |
|
नई लाइनों का निर्माण (किलोमीटर मार्ग) |
500 |
286 |
300 |
300 |
300 |
गेज परिवर्तन (किलोमीटर मार्ग) |
600 |
470 |
500 |
500 |
500 |
लाइनों की डबलिंग (किलोमीटर मार्ग) |
1,900 |
1,614 |
1,600 |
1,600 |
1,700 |
रोलिंग स्टॉक |
|||||
क (i) डीजल लोकोमोटिव्स |
... |
10 |
0 |
0 |
0 |
क (ii) इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स |
725 |
754 |
905 |
981 |
685 |
ख कोच |
6,534 |
4,903 |
6,695 |
8,115 |
7,551 |
ग वैगन (संख्या) |
12,000 |
10,062 |
12,000 |
9,600 |
13,000 |
ट्रैक रीन्यूअल (किलोमीटर मार्ग) |
4,000 |
4,363 |
4,000 |
3,600 |
3,700 |
बिजलीकरण परियोजनाएं (किलोमीटर मार्ग)) |
6,000 |
6,015 |
6,000 |
6,000 |
6,500 |
स्रोत: कई वर्षों के केंद्रीय बजट; पीआरएस।
[1] “Evolution – About Indian Railways”, Ministry of Railways, last accessed on February 5, 2022, http://www.indianrailways.gov.in/railwayboard/view_section.jsp?lang=0&id=0,1,261.
[2] Budget Speech 2022-23, February 1, 2022, https://www.indiabudget.gov.in/doc/Budget_Speech.pdf.
[3] “Cancellation of all train Services by Indian Railways in the wake of COVID-19”, Press Information Bureau, Ministry of Railways, March 22, 2020.
[4] “Railways taking steps to normalize passenger services in phased manner”, Press Information Bureau, Ministry of Railways, November 14, 2021.
[5] No. TC II/2910/21/Covid 19-Review of HSP fare New Delhi, Railway Board, Ministry of Railways, November 12, 2021, https://digitalscr.in/bzadiv/circulars/misc_circulars/uploads/Operation_train_services_shortly.pdf.
[6] “India Transport Report: Moving India to 2032: Volume II, National Transport Development Policy Committee 2013, June 17, 2014. http://planningcommission.gov.in/sectors/index.php?sectors=National%20Transport%20Development%20Policy%20Committee%20(NTDPC).
[7] The Draft National Rail Plan, Ministry of Railways, December 2020, http://indianrailways.gov.in/NRP-%20Draft%20Final%20Report%20with%20annexures.pdf.
[8] “Strategy for New India @75”, NITI Aayog, November 2018, https://niti.gov.in/writereaddata/files/Strategy_for_New_India.pdf.
[9] “Year 2021 has been a ‘Year of Major Transformation’ for Indian Railways”, Press Information Bureau, Ministry of Railways, January 1, 2022.
[10] “This year has been an "Year of Grit and Victories" for Indian Railways”, Press Information Bureau, Ministry of Railways, December 26, 2020.
[11] “National Statement by Prime Minister Shri Narendra Modi at COP26 Summit in Glasgow”, Press Information Bureau, Prime Minister’s Office, November 1, 2021.
[12] Report No. 8 of 2020: Railways Finances, Financial Audit, For the year ended March 2019, Report of the Comptroller and Auditor General of India, July 20, 2020, https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2020/Report%20No.%208%20of%202020_English-05f75b32f3ecdc0.39910555.pdf.
[13] Report No 13 of 2021, Railways Finances, for the year ended March 2020, Report of the Comptroller and Auditor General of India, December 21, 2021, https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2021/Railway%20Finance%20Report-13-2021-061c1c356591929.85046974.pdf.
[14] “Reviewing the Impact of “Social Service Obligations” by Indian Railways”, NITI Aayog, http://niti.gov.in/writereaddata/files/document_publication/Social-Costs.pdf.
[15] “3rd Report: Demand for Grants (2020-21) - Ministry of Railways”, Standing Committee on Railways, March 2020, http://164.100.47.193/lsscommittee/Railways/17_Railways_3.pdf.
[16] Report of the Committee for Mobilization of Resources for Major Railway Projects and Restructuring of Railway Ministry and Railway Board, Ministry of Railways, June 2015, http://www.indianrailways.gov.in/railwayboard/uploads/directorate/HLSRC/FINAL_FILE_Final.pdf.
[17] Report No 10 of 2019, Railways Finances, for the year ended March 2018, , Report of the Comptroller and Auditor General of India, December 2, 2019,, https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2019/Report_No_10_of_2019_Union_Government_(Railways)_Railways_Finances.pdf.
[18] National Monetisation Pipeline, Volume II: Asset Pipeline, NITI Aayog, https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2021-08/Vol_2_NATIONAL_MONETISATION_PIPELINE_23_Aug_2021.pdf.
[19] Annual Report on Pay and Allowances of Central Government Civilian Employees 2019-20, Department of Expenditure, Ministry of Finance, https://doe.gov.in/sites/default/files/Annual%20Report%202019-20.pdf.
[20] “13th Report: Demands for Grants (2017-18)”, Standing Committee on Railways, March 10, 2017, http://164.100.47.193/lsscommittee/Railways/16_Railways_13.pdf.
[21] “Ministry of Railways invites Request for Qualifications (RFQ) for private participation for operation of passenger train services over 109 Origin Destination (OD) pairs of routes”, Press Information Bureau, Ministry of Railways, July 1, 2020.
[22] Statement on Implementation of Budget Announcements of 2021-22, Union Budget 2022-23, https://www.indiabudget.gov.in/doc/impbud2020-21.pdf.
[23] Notes on Overview of Receipts and Expenditure- Railways, Expenditure Profile, Union Budget 2022-23, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/railstat1.pdf.
[24] Notes on Overview of Receipts and Expenditure- Railways, Expenditure Profile, Union Budget 2021-22, https://www.indiabudget.gov.in/budget2021-22/doc/eb/railstat1.pdf.
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है। |